रामायण की असली कहानी क्या है

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अगर मैं आपसे कहूं कि अब तक आप जो रामायण पढ़ते या फिर देखते आए हैं, उसमें आपको सही कहानी नहीं बताई गई है। सुनने में आपको अजीब लगा होगा, लेकिन यही सच है। वैसे तो रामायण हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का हमेशा प्रतीक देता आया है, जिसमें की राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम व्यक्तित्व वाले पुरुष जिन्होंने अंत तक एक असली राजा होने का प्रमाण देते हुए अपने प्रजा के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखा, और अपनी अच्छाई से ही रावण का वध करके सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाकर 14 वर्ष का वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटे, लेकिन यह सब तो सिर्फ देखी और सुनी हुई बात ही है, असली कहानी तो कुछ और ही है। तो चलिए जानते हैं राम चालीसा और रामायण की असली कहानी क्या है।

रामायण में एक नहीं बल्कि दो दो सीता थी

जैसा कि सभी को पता था की रामायण में सीता जी को रावण के द्वारा अपहरण किया गया था, लेकिन असली कहानी कुछ और ही है, असली कहानी के अनुसार हमें पता चलता है की रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता थी। एक असली और दूसरी माया की। कहा जाता है कि वनवास जाने के बाद श्री राम जी ने सीता जी को अग्नि देव को सौंपते हुए, कहा था कि अब मैं जब तक सभी राक्षसों का विनाश नहीं कर देता, तब तक तुम अग्नि देव के पास ही सुरक्षित रहोगी। यह कहकर राम जी ने सीता जी को अग्नि देव को सौंप दिया था, और उनके जगह एक माया की सीता आ गई थी। यानी कि इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि जब रावण के द्वारा सीता माता का अपहरण किया गया था, तब वह  सीता माता असली सीता माता नहीं, बल्कि माया की सीता माता थी, क्योंकि अगर वह असली सीता माता होती, तो रावण के हाथ लगाते ही रावण जलकर भस्म हो जाता है, क्योंकि सीता माता इतनी ज्यादा पवित्र थी, कि उनके तरफ कोई गैर पुरुष नजर उठा कर भी नहीं देख सकता था।

माता सीता की अग्नि परीक्षा

जैसा कि आप सभी को पता है, की रामायण में राम जी के कहने पर सीता माता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, जिसके वजह से स्वयं उनके ही भाई लक्ष्मण जी भी राम जी से नाराज हो गए थे, कि उन्होंने आखिर सीता माता को ऐसा करने को क्यों कहा। लेकिन अगर बात करें असली कहानी की, तो सीता माता के अग्नि परीक्षा देने के पीछे भी एक कारण था, वह कारण यह था, ताकि राम जी असली सीता जी को प्राप्त कर सकें, जैसा कि हमने आपको बताया था कि वनवास के समय राम जी ने सीता माता को अग्नि देव को सौंप दिया था, और असली सीता माता की जगह एक माया की सीता माता उनके साथ थी, इसलिए राम जी के कहने पर माया की सीता माता अग्नि में कूद गई,  उनके स्थान पर असली वाली सीता माता जो अब तक अग्नि देव के पास सुरक्षित थी वह अग्नि से वापस लौट आई, जिससे कि राम जी को अपनी वह पुरानी सीता वापस मिल गई।

असली रामायण कौन सी है?

तो दोस्तों वैसे तो आजकल आपको रामायण की कई सुनी और अनसुनी कहानियां देखने को मिल जाएगी, लेकिन क्या आपको पता है की असली रामायण कौन सी है। जिसमें आपको रामायण की सच्ची कहानी जानने को मिलेगी। तो हम आपको बता दें, कि महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा ही श्लोकबद्ध तरीके से लिखी गई रामायण को असली रामायण माना जाता है, जिसे की वाल्मीकि रामायण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस ग्रंथ को महर्षि वाल्मीकि ने राम जी के काल में ही लिखा था, इसलिए यही असली रामायण है।

Conclusion

तो उम्मीद है कि अब आपको रामायण की असली कहानी के बारे में पता चल गया होगा, की रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता माता थी। तो अगली बार से जब भी आप रामायण को पढ़े या फिर सुने तो इस बात को ध्यान रखें। और लोगों को भी इसकी असली कहानी के बारे में बताएं।

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